Tuesday, March 17, 2015

EK BEHTAREEN KISSAA ,,,,,



EK BEHTAREEN KISSAA ,,,,,
एक ग़ुलाम था एक दिन वह काम पर नहीं गया.
मालिक ने,सोचा इस कि तन्खोआह बढ़ा दी जाये तो यह और दिल्चसपी से काम करेगा.
अगली बार जब उस को तन्खोआह से ज़्यादा पैसे दिये तो उस ने कुछ नही बोला ख़ामोशी से पैसे रख लिये........
कुछ दिन बाद वह फिरग़ैर हाज़िर हो गया.
मालिक को बहुत ग़ुस्सा आया और उस ने बढ़ी हुई तन्खोआह कम कर दी और उस को पहले वाली ही तन्खोआह दी...........
ग़ुलाम ने तब भी खामोशी ही इख़्तयार की.और ज़बान से कुछ ना बोला....
तब मालिक को बड़ा ताज्जुब हुआ.
उसने ग़ुलाम से कहा की जब मै ने तुम्हारे ग़ैर हाज़िर होने के बाद तुम्हारी तन्खोआह बढा कर दी .तब तुम कुछ नही बोले और आज तुम्हारी ग़ैर हाज़री पर तन्खोआह कम कर के दी तब भी तुम खामोश ही रहे.
इस की क्या वजह है..?.....
ग़ुलाम ने जवाब दिया
जब मै पहले ग़ैर हाज़िर हुआ था तो मेरे घर एक बच्चा हुआ था,, आप ने तन्खोआह बढ़ा कर दी मै समझ गया..अल्लाह ने इस के हिस्से का रिज़क़ भेज दिया.इस की किसमत का रिज़क़ खुदा ने भेज दिया.....
और जब दोबारा मै ग़ैरहाजिर हुआ तो जनाब मेरी वाल्दाह का इन्तिक़ाल हो गया था..
जब आप ने मुझ को तन्खोआह कम दी तो मै ने यह मान लिया की मेरी मॉं अपने हिस्से का रिज़क़ ले गयीं.........
फिर मै इस रिज़क़ की ख़ातिर क्यों परेशान होऊँ जिस का ज़िम्मा ख़ुद ख़ुदा ने ले रखा हो...

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